शीर्षक: भारत में पहली बार कब और कैसे हुआ SC-ST आरक्षण?
प्रस्तावना:
SC (अनुसूचित जाति) और ST (अनुसूचित जनजाति) के लिए आरक्षण भारत की सामाजिक न्याय व्यवस्था का एक प्रमुख हिस्सा है। यह उन वर्गों को समान अवसर प्रदान करने के लिए लागू किया गया, जो ऐतिहासिक रूप से शोषित और वंचित रहे हैं। आइए जानें, पहली बार कब और कैसे आरक्षण की शुरुआत हुई।
1. आरक्षण की पृष्ठभूमि:
ब्रिटिश काल में भी कुछ हद तक दलितों के लिए अवसरों की बात हुई, लेकिन औपचारिक आरक्षण की शुरुआत स्वतंत्र भारत में हुई।
2. पहला उल्लेख – गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट 1935:
- इस एक्ट में पहली बार राजनीतिक आरक्षण (separate electorates) का प्रावधान हुआ।
- डॉ. भीमराव अंबेडकर और महात्मा गांधी के बीच पूना समझौता (1932) के बाद, दलितों को सामान्य मतदाता सूची में आरक्षित सीटें दी गईं।
3. संविधान में आरक्षण की व्यवस्था (1950):
- 26 जनवरी 1950: भारतीय संविधान लागू हुआ।
- अनुच्छेद 15(4) और 16(4): राज्य को यह अधिकार दिया गया कि वह सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए विशेष प्रावधान करे।
- अनुच्छेद 330 और 332: संसद और राज्य विधानसभाओं में SC/ST के लिए राजनीतिक आरक्षण का प्रावधान।
4. पहला आरक्षण कब लागू हुआ?
- 1951 में पहली बार शैक्षणिक संस्थानों और नौकरियों में आरक्षण लागू हुआ।
- केंद्र सरकार की नौकरियों में SC के लिए 15% और ST के लिए 7.5% आरक्षण तय किया गया।
5. उद्देश्य:
- ऐतिहासिक रूप से वंचित समुदायों को मुख्यधारा में लाना।
- शिक्षा, नौकरी और राजनीति में समान अवसर देना।
निष्कर्ष:
SC-ST आरक्षण की शुरुआत संविधान लागू होते ही 1950 में हुई। यह भारत के लोकतंत्र में सामाजिक न्याय की दिशा में एक बड़ा कदम था। यह आरक्षण अब भी जारी है, ताकि समाज में बराबरी सुनिश्चित की जा सके।