मौर्य साम्राज्य के संस्थापक:

चंद्रगुप्त मौर्य (लगभग 322-297 ईसा पूर्व) मौर्य साम्राज्य के संस्थापक थे।
उन्होंने चाणक्य/कौटिल्य की सहायता से नंद वंश के अंतिम शासक धनानंद को पराजित कर मौर्य साम्राज्य की स्थापना की।
साम्राज्य का विस्तार:
- चंद्रगुप्त ने एक विशाल साम्राज्य की स्थापना की जो लगभग पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में फैला हुआ था (तमिलनाडु और केरल को छोड़कर)।
- उन्होंने सिंधू घाटी और उत्तर-पश्चिम भारत में मैसेडोनियन क्षेत्रों को जीता।
- 305-303 ईसा पूर्व में उन्होंने यूनानी शासक सेल्यूकस निकेटर को हराया और एक संधि की जिसके तहत उन्हें पाकिस्तान और अफगानिस्तान के कुछ हिस्से मिले।
- जूनागढ़ अभिलेख (रुद्रदामन प्रथम का) से पता चलता है कि चंद्रगुप्त का प्रभाव पश्चिम भारत तक फैला था।
साहित्यिक स्रोत:
कौटिल्य का अर्थशास्त्र: यह मौर्यकालीन राजनीति, प्रशासन और आर्थिक व्यवस्था पर सबसे महत्वपूर्ण साहित्यिक स्रोत है।
- मेगस्थनीज की इंडिका: मेगस्थनीज सेल्यूकस निकेटर का राजदूत था जो चंद्रगुप्त मौर्य के दरबार में आया था। उसकी “इंडिका” मौर्यकालीन प्रशासन, समाज और संस्कृति के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी देती है। (हालांकि, इंडिका का मूल स्वरूप उपलब्ध नहीं है, इसके अंश अन्य यूनानी लेखकों के उद्धरणों में मिलते हैं)।
- विशाखदत्त की मुद्राराक्षस: यह नाटक गुप्त काल में लिखा गया था, लेकिन यह बताता है कि कैसे चाणक्य की सहायता से चंद्रगुप्त मौर्य ने नंदों को पराजित किया।
- पुराण: ये मौर्य राजाओं का कालक्रम और साम्राज्य से संबंधित जानकारी प्रदान करते हैं।
- बौद्ध साहित्य (दीपवंश, महावंश, जातक): इन ग्रंथों में चंद्रगुप्त मौर्य और मौर्यकालीन सामाजिक-आर्थिक व्यवस्था के बारे में जानकारी मिलती है। दीपवंश और महावंश के अनुसार मौर्य क्षत्रिय थे।
- जैन साहित्य (परिशिष्टपर्वन): यह चंद्रगुप्त के जैन धर्म अपनाने की पुष्टि करता है।
प्रशासनिक व्यवस्था (मेगस्थनीज के इंडिका के अनुसार):
- सैन्य व्यवस्था: मेगस्थनीज के अनुसार चंद्रगुप्त की सेना विशाल थी (लगभग 6 लाख पैदल, 50 हजार घुड़सवार, 9 हजार हाथी और 800 रथ)। सेना का प्रबंधन एक युद्ध परिषद करती थी जिसमें 5-5 सदस्यों की 6 समितियां थीं (पदाति, अश्व, रथ, गज, नौसेना आदि)।
- प्रांतीय प्रशासन: साम्राज्य को चार प्रांतों (चक्र) में विभाजित किया गया था, जिनका शासन सम्राट के प्रतिनिधि द्वारा किया जाता था।
- अर्थव्यवस्था: राज्य की आर्थिक गतिविधियों को विनियमित करने के लिए अध्यक्षों (अधिकारियों) की नियुक्ति की गई थी। कृषि, व्यापार, वाणिज्य, शिल्प, तौल और माप अध्यक्षों के पर्यवेक्षण में थे।
धार्मिक झुकाव:
चंद्रगुप्त मौर्य ने अपने जीवन के अंतिम चरण में जैन धर्म अपना लिया था।
- जैन परंपरा के अनुसार, वह भद्रबाहु के साथ कर्नाटक चले गए और श्रवणबेलगोला में “संलेखना” (उपवास द्वारा शरीर त्याग) विधि से अपने प्राण त्यागे।
कला और वास्तुकला:

मौर्य काल में केंद्रीकृत सत्ता और कला का विकास हुआ।
- चंद्रगुप्त मौर्य द्वारा पाटलिपुत्र में निर्मित राजप्रसाद एक विशाल भवन था
BPSC के लिए महत्वपूर्ण तथ्य:
चंद्रगुप्त मौर्य भारत के पहले ऐतिहासिक सम्राट थे।
- उनकी राजधानी पाटलिपुत्र (वर्तमान पटना) थी।
- कौटिल्य (चाणक्य) उनके प्रधानमंत्री और गुरु थे।
- सेल्यूकस निकेटर को पराजित कर वैवाहिक संबंध स्थापित किए।
- मेगास्थनीज चंद्रगुप्त के दरबार में आया था और उसने “इंडिका” लिखी।
- चंद्रगुप्त ने जैन धर्म अपनाकर श्रवणबेलगोला में देह त्याग किया।
- जूनागढ़ अभिलेख चंद्रगुप्त मौर्य के पश्चिमी भारत पर प्रभाव की पुष्टि करता है।
यह जानकारी BPSC परीक्षा के लिए चंद्रगुप्त मौर्य से संबंधित महत्वपूर्ण बिंदुओं को संक्षेप में प्रस्तुत करती है