ऑपरेशन महादेव क्या है?
ऑपरेशन महादेव भारत की खुफिया एजेंसियों द्वारा चलाया गया एक गुप्त अभियान है, जिसका उद्देश्य फर्जी और अवैध ऑनलाइन सट्टेबाज़ी नेटवर्क का भंडाफोड़ करना था। यह ऑपरेशन भारत और दुबई जैसे देशों में फैले हुए एक अंतरराष्ट्रीय रैकेट के खिलाफ चलाया गया था जो ऑनलाइन जुए और सट्टेबाज़ी के ज़रिए हजारों करोड़ रुपये का अवैध कारोबार कर रहा था।

ऑपरेशन महादेव की शुरुआत कैसे हुई?
यह अभियान 2023 में सामने आया, जब जांच एजेंसियों को कुछ ऐसे ऑनलाइन एप्लिकेशन्स के बारे में जानकारी मिली जो IPL, वर्ल्ड कप, और दूसरे खेलों पर सट्टा लगाने की सुविधा दे रहे थे। ये ऐप्स भारत में बैन थे, लेकिन VPN और इंटरनेशनल सर्वर की मदद से ऑपरेट किए जा रहे थे।
इस ऑपरेशन में कौन-कौन शामिल थे?
- भारतीय खुफिया एजेंसियाँ – जैसे RAW, IB और ED (प्रवर्तन निदेशालय)
- दुबई और अन्य देशों की एजेंसियाँ
- साइबर सिक्योरिटी विशेषज्ञों की टीमें
- फॉरेंसिक डेटा एनालिस्ट्स
कितना बड़ा है यह घोटाला?
ऑपरेशन महादेव के तहत जो घोटाले सामने आए हैं, उनमें:
- ₹5,000 करोड़ से ज़्यादा की धनराशि का हेरफेर
- लगभग 50 से ज़्यादा फर्जी ऑनलाइन एप्लिकेशन
- हाई-प्रोफाइल लोग शामिल, जिनमें कथित तौर पर फिल्म स्टार्स, यूट्यूबर्स और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स तक के नाम जुड़े
कैसे काम करता था ऑपरेशन महादेव का नेटवर्क?

- दुबई से ऑपरेट होने वाले सर्वर
- भारत में व्हाट्सएप, टेलीग्राम के ज़रिए लिंक शेयर किए जाते थे
- यूज़र्स को फर्जी ऐप्स पर खाता खोलने के लिए कहा जाता
- सट्टा, जुआ, गेमिंग और फिक्सिंग के ज़रिए पैसे वसूले जाते
- क्रिप्टोकरेंसी और नकद लेन-देन से ट्रैकिंग से बचने की कोशिश
क्या कार्रवाई हुई है?
- कई संदिग्धों को गिरफ्तार किया गया
- प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने कई संपत्तियाँ ज़ब्त कीं
- साइबर अपराध इकाइयों ने वेबसाइट्स और ऐप्स को ब्लॉक किया
- इंटरपोल और अन्य अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों से सहयोग मांगा गया
निष्कर्ष (Conclusion)
ऑपरेशन महादेव सिर्फ एक साइबर क्राइम की कहानी नहीं है, यह एक चेतावनी है कि डिजिटल युग में जुआ और धोखाधड़ी के तरीके भी अत्यंत आधुनिक और जटिल हो चुके हैं। भारत सरकार और एजेंसियाँ लगातार ऐसी गतिविधियों के खिलाफ कार्रवाई कर रही हैं। हमें भी सतर्क रहना चाहिए और किसी भी फर्जी लिंक, सट्टा एप या संदिग्ध वेबसाइट से दूर रहना चाहिए।