- तिथि: प्रत्येक वर्ष 18 मई को मनाया जाता है।
- उद्देश्य: समाज में संग्रहालयों के महत्व और उनकी भूमिका के प्रति जागरूकता बढ़ाना।
- शुरुआत: अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय परिषद (ICOM) द्वारा 1977 में स्थापित किया गया।
- भूमिका: संग्रहालयों को सांस्कृतिक आदान-प्रदान, विरासत संरक्षण, शिक्षा और अनुसंधान के महत्वपूर्ण साधन के रूप में बढ़ावा देना।
- वार्षिक थीम: हर साल एक विशिष्ट थीम (विषय) निर्धारित की जाती है (जैसे 2024 की थीम: “संग्रहालय, शिक्षा और अनुसंधान”)।
- आयोजन: इस दिन दुनिया भर के संग्रहालय विशेष प्रदर्शनियों, शैक्षिक कार्यक्रमों और सांस्कृतिक गतिविधियों का आयोजन करते हैं।
- महत्व: यह दिवस संग्रहालयों को अपने समुदायों से जुड़ने और उनकी प्रासंगिकता प्रदर्शित करने का अवसर प्रदान करता है
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने हाल ही में राज्यपालों की विधेयक स्वीकृति (Bill Assent) शक्तियों से संबंधित एक महत्वपूर्ण विषय पर अनुच्छेद 143 का प्रयोग किया है।
- क्या प्रयोग किया: राष्ट्रपति मुर्मू ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 143 का प्रयोग किया है।
- किस शक्ति के संबंध में: उन्होंने राज्यपालों की विधायी शक्ति के एक पहलू, विशेष रूप से राज्य विधानमंडलों द्वारा पारित विधेयकों को स्वीकृति देने में लगने वाली देरी और इसके लिए समय-सीमा निर्धारित करने की संभावना के संबंध में इस अनुच्छेद का प्रयोग किया है।
- क्या है अनुच्छेद 143: यह अनुच्छेद भारत के राष्ट्रपति को सर्वोच्च न्यायालय से किसी कानूनी या सार्वजनिक महत्व के प्रश्न पर सलाह मांगने की शक्ति देता है। सर्वोच्च न्यायालय ऐसी राय दे भी सकता है और देने से इनकार भी कर सकता है। राष्ट्रपति के लिए यह राय मानना बाध्यकारी नहीं होती है।
क्यों किया गया प्रयोग: विभिन्न राज्यों में राज्यपालों द्वारा राज्य विधानसभाओं द्वारा पारित विधेयकों को मंजूरी देने में अत्यधिक देरी देखी गई है। इससे राज्य सरकारों और राज्यपालों के बीच संवैधानिक गतिरोध उत्पन्न हुआ है और संघीय ढांचे में तनाव आया है। इस स्थिति पर स्पष्टीकरण और मार्गदर्शन प्राप्त करने के लिए राष्ट्रपति ने सर्वोच्च न्यायालय की सलाह मांगी है।
- मुख्य प्रश्न: राष्ट्रपति ने सर्वोच्च न्यायालय से यह पूछा है कि क्या राज्यपालों और राष्ट्रपति के लिए राज्य विधानमंडलों द्वारा पारित विधेयकों को मंजूरी देने के लिए कोई समय-सीमा निर्धारित की जा सकती है। उन्होंने इस संबंध में 14 संवैधानिक प्रश्नों पर सर्वोच्च न्यायालय की सलाहकार राय मांगी है।
- प्रभाव: सर्वोच्च न्यायालय की सलाह से राज्यपाल और राष्ट्रपति की विधायी प्रक्रिया में भूमिका स्पष्ट होने, विधेयकों की स्वीकृति को लेकर समयबद्धता तय होने और संघीय ढांचे तथा केंद्र-राज्य संबंधों को नए सिरे से परिभाषित करने में मदद मिल सकती है।