आज के समय में जब सीमा पार से और आंतरिक सुरक्षा के लिए ड्रोन का खतरा लगातार बढ़ रहा है, भारत ने अपनी रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। हाल ही में, भारत ने अपनी स्वदेशी ड्रोन रोधी प्रणाली ‘भार्गवास्त्र’ का सफल परीक्षण किया है। यह न केवल हमारी सुरक्षा के लिए एक बड़ी उपलब्धि है, बल्कि ‘आत्मनिर्भर भारत’ के सपने को साकार करने की दिशा में भी एक मील का पत्थर है।
ड्रोन हमलों का बढ़ता खतरा: एक गंभीर चुनौती
पिछले कुछ वर्षों में हमने देखा है कि दुश्मन ताकतें और आतंकवादी संगठन ड्रोन का इस्तेमाल निगरानी, तस्करी और यहां तक कि हमलों के लिए भी कर रहे हैं। इन मानवरहित हवाई वाहनों (UAVs) को ट्रैक करना और निष्क्रिय करना एक बड़ी चुनौती बन गया था। हवाई अड्डों, सैन्य ठिकानों, महत्वपूर्ण सरकारी इमारतों और भीड़-भाड़ वाले इलाकों में ड्रोन हमलों का खतरा हमेशा बना रहता है। इस चुनौती से निपटने के लिए एक प्रभावी और स्वदेशी समाधान की सख्त आवश्यकता थी।
‘भार्गवास्त्र’: भारत का कवच

इसी पृष्ठभूमि में ‘भार्गवास्त्र’ का विकास और सफल परीक्षण एक गेम चेंजर साबित हुआ है। यह एक अत्याधुनिक ड्रोन रोधी प्रणाली है जिसे पूरी तरह से भारत में डिजाइन और विकसित किया गया है। इसका सफल परीक्षण यह दर्शाता है कि भारत अब इन हवाई खतरों से प्रभावी ढंग से निपटने में सक्षम है।
भार्गवास्त्र’ की मुख्य विशेषताएं:
- स्वदेशी विकास: यह प्रणाली ‘मेक इन इंडिया’ पहल का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। इसे भारत के अपने वैज्ञानिकों और इंजीनियरों ने विकसित किया है, जिससे हमारी प्रौद्योगिकी आत्मनिर्भरता मजबूत हुई है।
- समग्र समाधान: ‘भार्गवास्त्र’ केवल एक जैमर नहीं है; यह एक एकीकृत प्रणाली है। इसमें ड्रोन का पता लगाने (detection), उन्हें ट्रैक करने (tracking) और फिर उन्हें बेअसर (neutralization) करने की क्षमता है।
- उच्च सटीकता: यह प्रणाली छोटे से छोटे और तेज गति वाले ड्रोनों को भी सटीक रूप से पहचान सकती है और उन्हें निष्क्रिय कर सकती है।
- बहु-स्तरीय सुरक्षा: ‘भार्गवास्त्र’ विभिन्न प्रकार की तकनीकों का उपयोग करती है, जिसमें रडार, ऑप्टिकल सेंसर और इलेक्ट्रॉनिक जैमिंग शामिल हैं, ताकि ड्रोन को उड़ान भरने से रोका जा सके या उन्हें उनके लक्ष्य तक पहुँचने से पहले ही गिराया जा सके।
- विभिन्न परिदृश्यों में उपयोग: इस प्रणाली को विभिन्न सुरक्षा परिदृश्यों में तैनात किया जा सकता है – चाहे वह महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों की सुरक्षा हो, सीमा पर निगरानी हो, या सार्वजनिक आयोजनों की सुरक्षा।
सुरक्षा और आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम

‘भार्गवास्त्र’ का सफल परीक्षण भारत की रक्षा क्षमताओं के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। यह न केवल हमारे सशस्त्र बलों को और अधिक सशक्त बनाएगा, बल्कि यह भी साबित करता है कि भारत अब जटिल रक्षा प्रौद्योगिकियों के विकास में आत्मनिर्भर होता जा रहा है। यह प्रणाली भविष्य के हवाई खतरों से निपटने के लिए हमारी तैयारी का एक प्रमाण है।
यह ‘भार्गवास्त्र’ जैसी स्वदेशी प्रणालियाँ ही हैं जो हमें एक सुरक्षित और आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाने में मदद करेंगी। यह विकास निश्चित रूप से हमारे देशवासियों के लिए गर्व का क्षण है।