समुद्रयान क्या है? भारत का पहला मानवयुक्त गहरे समुद्र मिशन

समुद्रयान’ भारत का पहला मानव युक्त गहरा महासागर मिशन है, जो देश के लिए एक महत्वाकांक्षी और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण पहल है। यह भारत को उन चुनिंदा देशों की सूची में शामिल करेगा जिनके पास गहरे समुद्र में मानव युक्त अन्वेषण की क्षमता है।

  • लक्ष्य: इस मिशन का मुख्य लक्ष्य गहरे महासागरों में वैज्ञानिक अन्वेषण करना, समुद्री संसाधनों का पता लगाना और नीली अर्थव्यवस्था (Blue Economy) को बढ़ावा देना है।
  • लॉन्च की योजना: ‘समुद्रयान’ मिशन को 2026 तक लॉन्च किए जाने की उम्मीद है।
  • प्रमुख घटक: इस मिशन का एक महत्वपूर्ण घटक ‘मत्स्य 6000’ नामक एक स्वदेशी रूप से विकसित मानव युक्त पनडुब्बी वाहन है।
  • मत्स्य 6000 की क्षमता:
  • यह पनडुब्बी 6,000 मीटर (6 किलोमीटर) की गहराई तक समुद्र में जाने में सक्षम होगी।
  • यह एक बार में तीन वैज्ञानिकों/व्यक्तियों को ले जा सकती है।
  • इसमें सामान्य संचालन के लिए 12 घंटे और आपातकालीन स्थिति में 96 घंटे तक की सहनशक्ति (endurance) होगी।
  • यह टाइटेनियम से बनी है, जो इसे अत्यधिक दबाव और तापमान को सहन करने की क्षमता प्रदान करता है।
  • गहरे समुद्र में जैविक और अजैविक संसाधनों (जैसे बहुधात्विक गांठें – polymetallic nodules) की खोज करना।
  • महासागर की जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र का अध्ययन करना।
  • गहरे समुद्र में जाने वाली प्रौद्योगिकियों का विकास करना, जैसे पानी के नीचे के वाहन और रोबोटिक्स।
  • महासागरीय जलवायु परिवर्तन सलाहकार सेवाओं का विकास करना।
  • समुद्री जीव विज्ञान अनुसंधान के लिए उन्नत समुद्री स्टेशन स्थापित करना।
  • नोडल एजेंसी: इस मिशन का नेतृत्व पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (Ministry of Earth Sciences) के तहत राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान (NIOT), चेन्नई द्वारा किया जा रहा है।
  • ब्लू इकोनॉमी का समर्थन: यह मिशन भारत सरकार की ‘ब्लू इकोनॉमी’ नीति का एक अभिन्न अंग है, जिसका उद्देश्य समुद्री संसाधनों का सतत उपयोग करके आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है।
  • अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की स्थिति: इस मिशन की सफलता भारत को अमेरिका, रूस, फ्रांस, जापान और चीन जैसे उन गिने-चुने देशों के “एलीट क्लब” में शामिल कर देगी, जिनके पास गहरे समुद्र में मानव युक्त अन्वेषण की विशिष्ट क्षमताएं हैं।

‘समुद्रयान’ भारत के लिए गहरे समुद्र के रहस्यों को खोलने और महासागरीय संसाधनों के सतत उपयोग के लिए महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों को विकसित करने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है

‘भार्गवास्त्र’: भारत का कवच क्या है ?

आज के समय में जब सीमा पार से और आंतरिक सुरक्षा के लिए ड्रोन का खतरा लगातार बढ़ रहा है, भारत ने अपनी रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। हाल ही में, भारत ने अपनी स्वदेशी ड्रोन रोधी प्रणाली ‘भार्गवास्त्र’ का सफल परीक्षण किया है। यह न केवल हमारी सुरक्षा के लिए एक बड़ी उपलब्धि है, बल्कि ‘आत्मनिर्भर भारत’ के सपने को साकार करने की दिशा में भी एक मील का पत्थर है।
ड्रोन हमलों का बढ़ता खतरा: एक गंभीर चुनौती

पिछले कुछ वर्षों में हमने देखा है कि दुश्मन ताकतें और आतंकवादी संगठन ड्रोन का इस्तेमाल निगरानी, तस्करी और यहां तक कि हमलों के लिए भी कर रहे हैं। इन मानवरहित हवाई वाहनों (UAVs) को ट्रैक करना और निष्क्रिय करना एक बड़ी चुनौती बन गया था। हवाई अड्डों, सैन्य ठिकानों, महत्वपूर्ण सरकारी इमारतों और भीड़-भाड़ वाले इलाकों में ड्रोन हमलों का खतरा हमेशा बना रहता है। इस चुनौती से निपटने के लिए एक प्रभावी और स्वदेशी समाधान की सख्त आवश्यकता थी।

इसी पृष्ठभूमि में ‘भार्गवास्त्र’ का विकास और सफल परीक्षण एक गेम चेंजर साबित हुआ है। यह एक अत्याधुनिक ड्रोन रोधी प्रणाली है जिसे पूरी तरह से भारत में डिजाइन और विकसित किया गया है। इसका सफल परीक्षण यह दर्शाता है कि भारत अब इन हवाई खतरों से प्रभावी ढंग से निपटने में सक्षम है।

  • स्वदेशी विकास: यह प्रणाली ‘मेक इन इंडिया’ पहल का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। इसे भारत के अपने वैज्ञानिकों और इंजीनियरों ने विकसित किया है, जिससे हमारी प्रौद्योगिकी आत्मनिर्भरता मजबूत हुई है।
  • समग्र समाधान: ‘भार्गवास्त्र’ केवल एक जैमर नहीं है; यह एक एकीकृत प्रणाली है। इसमें ड्रोन का पता लगाने (detection), उन्हें ट्रैक करने (tracking) और फिर उन्हें बेअसर (neutralization) करने की क्षमता है।
  • उच्च सटीकता: यह प्रणाली छोटे से छोटे और तेज गति वाले ड्रोनों को भी सटीक रूप से पहचान सकती है और उन्हें निष्क्रिय कर सकती है।
  • बहु-स्तरीय सुरक्षा: ‘भार्गवास्त्र’ विभिन्न प्रकार की तकनीकों का उपयोग करती है, जिसमें रडार, ऑप्टिकल सेंसर और इलेक्ट्रॉनिक जैमिंग शामिल हैं, ताकि ड्रोन को उड़ान भरने से रोका जा सके या उन्हें उनके लक्ष्य तक पहुँचने से पहले ही गिराया जा सके।
  • विभिन्न परिदृश्यों में उपयोग: इस प्रणाली को विभिन्न सुरक्षा परिदृश्यों में तैनात किया जा सकता है – चाहे वह महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों की सुरक्षा हो, सीमा पर निगरानी हो, या सार्वजनिक आयोजनों की सुरक्षा।

‘भार्गवास्त्र’ का सफल परीक्षण भारत की रक्षा क्षमताओं के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। यह न केवल हमारे सशस्त्र बलों को और अधिक सशक्त बनाएगा, बल्कि यह भी साबित करता है कि भारत अब जटिल रक्षा प्रौद्योगिकियों के विकास में आत्मनिर्भर होता जा रहा है। यह प्रणाली भविष्य के हवाई खतरों से निपटने के लिए हमारी तैयारी का एक प्रमाण है।
यह ‘भार्गवास्त्र’ जैसी स्वदेशी प्रणालियाँ ही हैं जो हमें एक सुरक्षित और आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाने में मदद करेंगी। यह विकास निश्चित रूप से हमारे देशवासियों के लिए गर्व का क्षण है।

अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय दिवस (18 मई) – मुख्य बिंदु

  • तिथि: प्रत्येक वर्ष 18 मई को मनाया जाता है।
  • उद्देश्य: समाज में संग्रहालयों के महत्व और उनकी भूमिका के प्रति जागरूकता बढ़ाना।
  • शुरुआत: अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय परिषद (ICOM) द्वारा 1977 में स्थापित किया गया।
  • भूमिका: संग्रहालयों को सांस्कृतिक आदान-प्रदान, विरासत संरक्षण, शिक्षा और अनुसंधान के महत्वपूर्ण साधन के रूप में बढ़ावा देना।
  • वार्षिक थीम: हर साल एक विशिष्ट थीम (विषय) निर्धारित की जाती है (जैसे 2024 की थीम: “संग्रहालय, शिक्षा और अनुसंधान”)।
  • आयोजन: इस दिन दुनिया भर के संग्रहालय विशेष प्रदर्शनियों, शैक्षिक कार्यक्रमों और सांस्कृतिक गतिविधियों का आयोजन करते हैं।
  • महत्व: यह दिवस संग्रहालयों को अपने समुदायों से जुड़ने और उनकी प्रासंगिकता प्रदर्शित करने का अवसर प्रदान करता है
  • किस शक्ति के संबंध में: उन्होंने राज्यपालों की विधायी शक्ति के एक पहलू, विशेष रूप से राज्य विधानमंडलों द्वारा पारित विधेयकों को स्वीकृति देने में लगने वाली देरी और इसके लिए समय-सीमा निर्धारित करने की संभावना के संबंध में इस अनुच्छेद का प्रयोग किया है।

क्यों किया गया प्रयोग: विभिन्न राज्यों में राज्यपालों द्वारा राज्य विधानसभाओं द्वारा पारित विधेयकों को मंजूरी देने में अत्यधिक देरी देखी गई है। इससे राज्य सरकारों और राज्यपालों के बीच संवैधानिक गतिरोध उत्पन्न हुआ है और संघीय ढांचे में तनाव आया है। इस स्थिति पर स्पष्टीकरण और मार्गदर्शन प्राप्त करने के लिए राष्ट्रपति ने सर्वोच्च न्यायालय की सलाह मांगी है।

  • मुख्य प्रश्न: राष्ट्रपति ने सर्वोच्च न्यायालय से यह पूछा है कि क्या राज्यपालों और राष्ट्रपति के लिए राज्य विधानमंडलों द्वारा पारित विधेयकों को मंजूरी देने के लिए कोई समय-सीमा निर्धारित की जा सकती है। उन्होंने इस संबंध में 14 संवैधानिक प्रश्नों पर सर्वोच्च न्यायालय की सलाहकार राय मांगी है।
  • प्रभाव: सर्वोच्च न्यायालय की सलाह से राज्यपाल और राष्ट्रपति की विधायी प्रक्रिया में भूमिका स्पष्ट होने, विधेयकों की स्वीकृति को लेकर समयबद्धता तय होने और संघीय ढांचे तथा केंद्र-राज्य संबंधों को नए सिरे से परिभाषित करने में मदद मिल सकती है।

BPSC परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण घटना:

  • BPSC TRE-3 शिक्षकों का योगदान: बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) द्वारा चयनित तीसरे चरण के शिक्षकों ने हाल ही में विभिन्न विद्यालयों में अपना योगदान दिया है। (मई 2025)
  • TRE-3 सप्लीमेंट्री रिजल्ट की मांग और प्रतिक्रिया: BPSC TRE-3 के शिक्षक अभ्यर्थी सप्लीमेंट्री रिजल्ट जारी करने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। हालांकि, बिहार के शिक्षा मंत्री ने स्पष्ट किया है कि अब तीसरे चरण की शिक्षक बहाली का सप्लीमेंट्री रिजल्ट जारी नहीं किया जाएगा। (मई 2025)
  • BPSC TRE-4 पर अपडेट: बिहार के शिक्षा मंत्री के अनुसार, BPSC TRE-4 (चौथे चरण की शिक्षक बहाली) की प्रक्रिया जल्द शुरू होगी। (मई 2025)
  • असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती: BPSC ने असिस्टेंट प्रोफेसर के 1711 पदों के लिए आवेदन की अंतिम तिथि नजदीक है। (मई 2025)
  • ‘माई बहन मान’ योजना (कांग्रेस का वादा): महागठबंधन की सरकार बनने पर बिहार की वंचित वर्ग की महिलाओं को हर महीने 2,500 रुपये की आर्थिक मदद देने का वादा किया गया है। वर्तमान में बिहार सरकार 400 रुपये की सहायता देती है। (मई 2025)
  • बिहार डेयरी योजना: बिहार सरकार डेयरी खोलने पर सब्सिडी प्रदान कर रही है, जिससे लगभग 60 हजार लोगों को प्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलने की संभावना है। इसमें सामान्य, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अत्यंत पिछड़ा वर्ग के लोगों को लाभ मिलेगा। (मई 2025)
  • मुख्यमंत्री स्वयं सहायता भत्ता योजना: बिहार सरकार 20 से 25 वर्ष के बेरोजगार युवाओं को नौकरी पाने के लिए दो साल के लिए 1000 रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान करती है। (जारी)

अन्य प्रमुख योजनाएं: बिहार छात्रवृत्ति योजना, मुख्यमंत्री उद्यमी योजना, बिहार स्टार्टअप योजना, राज्य फसल सहायता योजना, बेरोजगारी भत्ता योजना, बिहार स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना, जल-जीवन हरियाली योजना, मुख्यमंत्री ग्राम परिवहन योजना, हर घर बिजली योजना, बाढ़ राहत सहायता योजना, मुख्यमंत्री एससी-एसटी उद्यमी योजना, राशन कार्ड वितरण योजना, बिहार रोजगार मेला आदि।

  • बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारी: बिहार में साल 2025 में विधानसभा चुनाव होने हैं। चुनाव आयोग ने अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं और सितंबर के प्रथम सप्ताह में चुनाव की घोषणा होने की संभावना है। (अप्रैल-मई 2025)
  • EV M का मेगा प्लान: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए चुनाव आयोग ने 25% अतिरिक्त EVM, VVPAT और कंट्रोल यूनिट रिजर्व रखने का निर्देश दिया है ताकि तकनीकी गड़बड़ी की स्थिति में तत्काल बदलाव किया जा सके। (मई 2025)
  • कुल व्यय: 2024-25 में कुल व्यय (ऋण चुकौती को छोड़कर) 2,56,333 करोड़ रुपये रहने का लक्ष्य है, जो 2023-24 के संशोधित अनुमानों से 12% कम है।
  • राजस्व अधिशेष: 2024-25 में राजस्व अधिशेष 1,121 करोड़ रुपये (जीएसडीपी का 0.1%) होने का अनुमान है।
  • प्राप्तियां: 2,27,238 करोड़ रुपये की प्राप्तियों (उधारों को छोड़कर) और 29,295 करोड़ रुपये की शुद्ध उधारी के माध्यम से व्यय को पूरा करने का प्रस्ताव है।
  • नौकरियों और रोजगार पर जोर: बजट में नौकरियों और रोजगार सृजन पर विशेष जोर दिया गया है।
    यह जानकारी 21 मई 2025 तक की उपलब्ध खबरों पर आधारित है। BPSC की तैयारी के लिए आपको बिहार से संबंधित समाचारों और सरकारी प्रकाशनों पर नियमित रूप से ध्यान देना चाहिए।

UPSC महत्वपूर्ण प्रिलिम्स फैक्ट्स :

  • UPSC CSE 2024 प्रीलिम्स आंसर-की जारी: संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने सिविल सेवा परीक्षा (CSE) 2024 के प्रीलिम्स के लिए आंसर-की जारी कर दी है। उम्मीदवार इसे आधिकारिक वेबसाइट पर देख सकते हैं। (21 मई 2025)
  • न्यायमूर्ति केम्पैया सोमशेखर मणिपुर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश नियुक्त: कर्नाटक उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति केम्पैया सोमशेखर को मणिपुर उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया है। सर्वोच्च न्यायालय के कॉलेजियम ने 15 मई, 2025 को उनकी नियुक्ति की सिफारिश की थी। (21 मई 2025)
  • पूजा खेडकर पर UPSC में धोखाधड़ी का आरोप: पूजा खेडकर पर 2022 में UPSC सिविल सेवा परीक्षा के लिए अपने आवेदन में गलत जानकारी देकर आरक्षण का लाभ प्राप्त करने का आरोप है। उन्होंने आरोपों का खंडन किया है। (21 मई 2025)
  • भारतीय वन सेवा परीक्षा (IFS) 2024 के नतीजे जारी: UPSC ने भारतीय वन सेवा परीक्षा (IFS) 2024 का फाइनल रिजल्ट जारी कर दिया है, जिसमें रांची की कनिका अनभ ने पूरे देश में टॉप किया है। (20 मई 2025)
  • यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2025 की अधिसूचना जल्द: UPSC सिविल सेवा परीक्षा 2025 के लिए अधिसूचना जल्द जारी होने की उम्मीद है। प्रीलिम्स परीक्षा 25 मई, 2025 को आयोजित की जाएगी और मुख्य परीक्षा 22 अगस्त, 2025 से शुरू होगी। (विभिन्न तारीखें)
  • विश्व हाइड्रोजन शिखर सम्मेलन 2025 में भारत का हरित हाइड्रोजन विजन: MNRE सचिव संतोष कुमार सारंगी ने रोटरडैम में विश्व हाइड्रोजन शिखर सम्मेलन में भारत के अक्षय ऊर्जा नेतृत्व और हरित हाइड्रोजन क्षमता पर प्रकाश डाला। (21 मई 2025)
  • भारत और भूटान के बीच छठी संयुक्त सीमा शुल्क समूह (JGC) बैठक: अप्रैल 2025 में थिम्पू में भारत और भूटान के बीच छठी संयुक्त सीमा शुल्क समूह (जेजीसी) बैठक आयोजित की गई। (अप्रैल 2025)
  • गिग इकॉनमी: यह यूपीएससी के लिए एक महत्वपूर्ण विषय है, जिसमें हालिया रुझानों और इसके सामाजिक-आर्थिक प्रभावों पर ध्यान देना आवश्यक है।
  • ऑनलाइन दुर्व्यवहार से निपटना: ऑनलाइन सुरक्षा और साइबर अपराध से संबंधित मुद्दे लगातार महत्वपूर्ण बने हुए हैं।
  • हीटवेव को प्रभावित करने वाले भौगोलिक एवं जलवायु कारक: जलवायु परिवर्तन और इसके प्रभावों से संबंधित यह विषय भी महत्वपूर्ण है।
  • क्षय रोग उन्मूलन की दिशा में भारत के प्रयास: स्वास्थ्य और सामाजिक मुद्दों में यह एक महत्वपूर्ण बिंदु है।

नोट: यह जानकारी 21 मई 2025 तक की उपलब्ध खबरों पर आधारित है। UPSC की तैयारी के लिए आपको नियमित रूप से समाचार पत्र और विश्वसनीय करेंट अफेयर्स स्रोतों का अध्ययन करते रहना चाहि

करेंट अफेयर्स, समसामयिक घटनाचक्र

  • तिथि: 15 मई
  • उद्देश्य: परिवारों के महत्व और समाज में उनकी भूमिका के बारे में जागरूकता बढ़ाना।
  • घोषणा: संयुक्त राष्ट्र महासभा (1993)
  • पहला आयोजन: 1994
  • महत्व: परिवार को समाज की आधारशिला मानना, पारिवारिक मुद्दों पर ध्यान देना, कल्याणकारी नीतियों का समर्थन करना।
  • थीम 2025: “परिवार-उन्मुख नीतियां सतत विकास के लिए: सामाजिक विकास पर दूसरे विश्व शिखर सम्मेलन की ओर।”
  • तिथि: 16 मई
  • उद्देश्य: डेंगू जागरूकता और रोकथाम
  • आयोजक: स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार
  • थीम 2025: “जल्दी कार्रवाई करें, डेंगू रोकें: स्वच्छ वातावरण, स्वस्थ जीवन।
  • स्थान: शंघाई, चीन (भारत में नहीं)
  • कुल पदक: 7
  • स्वर्ण: 2
    • महिला व्यक्तिगत कंपाउंड: मधुरा धमगांवकर
    • पुरुष टीम कंपाउंड: ओजस देवताले, अभिषेक वर्मा, ऋषभ यादव
  • रजत: 1
    • महिला टीम कंपाउंड: ज्योति सुरेखा वेन्नम, मधुरा धमगांवकर, चिखिथा तानिपरथी
  • कांस्य: 4
    • महिला व्यक्तिगत रिकर्व: दीपिका कुमारी
    • पुरुष व्यक्तिगत रिकर्व: पार्थ सालुंखे
    • मिश्रित टीम कंपाउंड: अभिषेक वर्मा, मधुरा धमगांवकर
    • पुरुष व्यक्तिगत कंपाउंड: ऋषभ यादव
  • 52वें मुख्य न्यायाधीश: न्यायमूर्ति बी.आर. गवई ने भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली।
  • ऐतिहासिक महत्व:
  • वह पहले बौद्ध हैं जिन्होंने भारत के मुख्य न्यायाधीश का पद संभाला है।
  • वह के.जी. बालकृष्णन के बाद अनुसूचित जाति समुदाय से दूसरे मुख्य न्यायाधीश हैं।
  • शपथ ग्रहण: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें राष्ट्रपति भवन में पद की शपथ दिलाई।
  • कार्यकाल: उनका कार्यकाल लगभग छह महीने का होगा, और वह 23 नवंबर, 2025 को सेवानिवृत्त होंगे।
  • पूर्ववर्ती: उन्होंने न्यायमूर्ति संजीव खन्ना का स्थान लिया।
  • पृष्ठभूमि:
  • उन्होंने बॉम्बे उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ के समक्ष अभ्यास किया।
  • वह 24 मई, 2019 को सर्वोच्च न्यायालय में पदोन्नत हुए।
  • महत्वपूर्ण बातें:
  • संविधान की सर्वोच्चता को माना।
  • उनके पिता आर.एस. गवई ने डॉ. बी.आर. अम्बेडकर के साथ 1956 में बौद्ध धर्म अपनाया था।

राट कोहली का टेस्ट क्रिकेट को अलविदा: एक युग का अंत

भारतीय क्रिकेट के इतिहास में आज एक ऐसा दिन दर्ज हो गया है, जिसने करोड़ों क्रिकेट प्रेमियों के दिलों को थोड़ा उदास कर दिया है। विराट कोहली, आधुनिक क्रिकेट के महानतम बल्लेबाजों में से एक, ने टेस्ट क्रिकेट से संन्यास की घोषणा कर दी है। यह खबर निश्चित रूप से भारतीय क्रिकेट और उनके फैंस के लिए एक बड़ा झटका है।
12 मई, 2025 को उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक भावुक संदेश साझा करते हुए अपने 14 साल के शानदार टेस्ट करियर पर विराम लगा दिया। उनके इस अप्रत्याशित फैसले ने क्रिकेट जगत में हलचल मचा दी है। कुछ ही दिनों पहले रोहित शर्मा के भी टेस्ट क्रिकेट से दूरी बनाने के बाद, विराट का यह निर्णय भारतीय टेस्ट टीम के लिए एक बड़ा बदलाव लेकर आएगा

विराट कोहली का टेस्ट करियर उपलब्धियों से भरा रहा है। उन्होंने 123 टेस्ट मैचों में भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व किया और 46.85 की प्रभावशाली औसत से 9230 रन बनाए। उनके बल्ले से 30 शानदार शतक और 31 अर्धशतक निकले, जिसमें उनका व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ स्कोर नाबाद 254 रन रहा।

सिर्फ एक बल्लेबाज के तौर पर ही नहीं, बल्कि एक कप्तान के रूप में भी विराट ने भारतीय टेस्ट टीम को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। उन्होंने 68 टेस्ट मैचों में टीम की कप्तानी की और 40 में जीत हासिल कर भारत के सबसे सफल टेस्ट कप्तानों में अपना नाम दर्ज कराया। उनकी आक्रामक कप्तानी और जीतने का जज्बा हमेशा टीम को प्रेरित करता रहा।
उनका आखिरी टेस्ट मैच इस साल जनवरी में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सिडनी में खेला गया था। भले ही उस मैच में उनके बल्ले से बड़ी पारी नहीं आई, लेकिन उनके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा

विराट कोहली ने अपने संन्यास के पीछे के कारणों का स्पष्ट रूप से उल्लेख नहीं किया है, लेकिन उनके सोशल मीडिया पोस्ट से यह जरूर झलकता है कि यह फैसला उनके लिए आसान नहीं था। उन्होंने अपने संदेश में इस फॉर्मेट में खेलने के दौरान मिली अविस्मरणीय यादों और अनुभवों के लिए आभार व्यक्त किया।
माना जा रहा है कि लगातार क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट में खेलने का दबाव और व्यक्तिगत जीवन को अधिक समय देने की इच्छा इस फैसले के पीछे मुख्य कारण हो सकते हैं।

विराट कोहली ने अपने संन्यास के पीछे के कारणों का स्पष्ट रूप से उल्लेख नहीं किया है, लेकिन उनके सोशल मीडिया पोस्ट से यह जरूर झलकता है कि यह फैसला उनके लिए आसान नहीं था। उन्होंने अपने संदेश में इस फॉर्मेट में खेलने के दौरान मिली अविस्मरणीय यादों और अनुभवों के लिए आभार व्यक्त किया।
माना जा रहा है कि लगातार क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट में खेलने का दबाव और व्यक्तिगत जीवन को अधिक समय देने की इच्छा इस फैसले के पीछे मुख्य कारण हो सकते हैं।

विराट कोहली का संन्यास भारतीय टेस्ट टीम के लिए एक बड़ा शून्य पैदा करेगा। उनकी बल्लेबाजी की स्थिरता, मैदान पर उनकी ऊर्जा और उनकी कप्तानी की आक्रामक शैली टीम के लिए हमेशा महत्वपूर्ण रही है। रोहित शर्मा के पहले ही संन्यास लेने के बाद, टीम को अब दो अनुभवी और विश्व स्तरीय बल्लेबाजों की कमी खलेगी, खासकर इंग्लैंड के आगामी मुश्किल दौरे पर।
युवा खिलाड़ियों के लिए यह एक अवसर जरूर है कि वे आगे आएं और इस खालीपन को भरें, लेकिन विराट कोहली जैसे कद के खिलाड़ी की जगह लेना किसी के लिए भी आसान नहीं होगा।

विराट कोहली ने अपने करियर के दौरान न सिर्फ रन बनाए बल्कि उन्होंने अपने जुनून, कड़ी मेहनत और कभी हार न मानने वाले रवैये से लाखों युवाओं को प्रेरित किया। टेस्ट क्रिकेट के प्रति उनका समर्पण और जज्बा हमेशा देखने लायक था।
उनके संन्यास से टेस्ट क्रिकेट निश्चित रूप से एक करिश्माई खिलाड़ी को खो देगा। हालांकि, उनकी उपलब्धियां और उनका योगदान हमेशा भारतीय क्रिकेट के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में लिखा रहेगा

अब क्रिकेट फैंस यही उम्मीद कर रहे होंगे कि विराट कोहली सीमित ओवरों के क्रिकेट में अपना जलवा दिखाते रहें और भारतीय टीम को और भी कई यादगार जीत दिलाएं।
विराट कोहली, टेस्ट क्रिकेट आपको हमेशा याद करेगा!

बिहार के स्कूलों में लाइब्रेरियन के 6500 पदों पर बम्पर भर्ती!

बिहार के शिक्षा जगत में एक बड़ी खुशखबरी आई है! राज्य के सरकारी स्कूलों में जल्द ही पुस्तकालयाध्यक्षों (Librarian) के 6500 पदों पर नियुक्ति होने वाली है। यह खबर उन हजारों युवाओं के लिए उम्मीद की एक नई किरण लेकर आई है जो पुस्तकालय विज्ञान के क्षेत्र में अपना करियर बनाना चाहते हैं।

राज्य के शिक्षा विभाग ने इस भर्ती प्रक्रिया को शुरू कर दिया है और इसके लिए आवश्यक नियमावली तैयार करके वित्त विभाग को भेज दी गई है। उम्मीद है कि वित्त विभाग से मंजूरी मिलते ही इस भर्ती के लिए आधिकारिक अधिसूचना जारी कर दी जाएगी।

यह भर्ती उन उम्मीदवारों के लिए एक सुनहरा अवसर साबित होगी जिनके पास लाइब्रेरी साइंस में आवश्यक डिग्री या डिप्लोमा है। इतने बड़े पैमाने पर पुस्तकालयाध्यक्षों की भर्ती से न केवल स्कूलों में पुस्तकालय व्यवस्था सुधरेगी बल्कि युवाओं को रोजगार के भी नए अवसर मिलेंगे

  • पदों की संख्या: लगभग 6500
  • विभाग: शिक्षा विभाग
  • नियुक्ति का प्रकार: सीधी भर्ती
  • आवेदन प्रक्रिया: ऑनलाइन होने की संभावना है
  • चयन प्रक्रिया: मेरिट आधारित हो सकती है, जिसमें शैक्षणिक अंकों को महत्व दिया जा सकता है। कुछ खबरों में लिखित परीक्षा और साक्षात्कार की भी बात कही गई है।
  • वेतनमान: चयनित उम्मीदवारों को शिक्षकों के समान वेतनमान मिलेगा।

हालांकि अभी तक आधिकारिक अधिसूचना जारी नहीं हुई है, लेकिन विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस भर्ती के लिए चयन प्रक्रिया मेरिट आधारित हो सकती है, जिसमें उम्मीदवारों के शैक्षणिक अंकों को प्राथमिकता दी जा सकती है। कुछ खबरों में यह भी कहा गया है कि लिखित परीक्षा और साक्षात्कार भी चयन प्रक्रिया का हिस्सा हो सकते हैं।
शैक्षणिक योग्यता की बात करें तो, उम्मीदवारों के पास लाइब्रेरी साइंस में स्नातक (B.Lib.Sc.) या स्नातकोत्तर (M.Lib.Sc.) डिग्री का होना अनिवार्य हो सकता है। कुछ रिपोर्ट्स में 2 साल के अनुभव की भी बात कही जा रही है, इसलिए विस्तृत जानकारी के लिए आधिकारिक अधिसूचना का इंतजार करना महत्वपूर्ण है।

सबसे अच्छी बात यह है कि चयनित पुस्तकालयाध्यक्षों को राज्य के शिक्षकों के समान ही वेतनमान मिलेगा, जिससे यह पद और भी आकर्षक हो जाता है।

सरकारी स्कूलों में इतने बड़े पैमाने पर पुस्तकालयाध्यक्षों की नियुक्ति से राज्य की शिक्षा व्यवस्था में एक सकारात्मक बदलाव आने की उम्मीद है। स्कूलों में प्रशिक्षित लाइब्रेरियन होने से छात्रों को अच्छी गुणवत्ता वाली पुस्तकें आसानी से उपलब्ध हो सकेंगी और उन्हें पढ़ने की आदत विकसित करने में मदद मिलेगी। पुस्तकालय ज्ञान का भंडार होते हैं और एक कुशल लाइब्रेरियन छात्रों को सही दिशा दिखाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

अब सभी की निगाहें शिक्षा विभाग और वित्त विभाग पर टिकी हुई हैं कि कब इस भर्ती के लिए आधिकारिक अधिसूचना जारी की जाएगी। उम्मीदवारों को सलाह दी जाती है कि वे बिहार सरकार के शिक्षा विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर लगातार अपडेट देखते रहें।
यह भर्ती बिहार के युवाओं के लिए एक शानदार मौका है और राज्य की शिक्षा प्रणाली के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है। अपनी तैयारी शुरू कर दीजिए और इस अवसर का लाभ उठाइए!

अगर आपको यह जानकारी उपयोगी लगी, तो इसे अपने दोस्तों और अन्य इच्छुक उम्मीदवारों के साथ जरूर शेयर करें!

डीजीएमओ: भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य संचालन का महत्वपूर्ण सेतु

डीजीएमओ का मतलब है महानिदेशक सैन्य संचालन (Director General of Military Operations)। यह भारतीय सेना के मुख्यालय में एक उच्च पद है, जो सैन्य अभियानों के निदेशालय का प्रमुख होता है। डीजीएमओ भारतीय सेना की सभी सैन्य कार्रवाइयों, रणनीतिक योजना और परिचालन तैयारियों की देखरेख के लिए जिम्मेदार होता है।
भारत और पाकिस्तान के बीच संबंधों के संदर्भ में, डीजीएमओ दोनों देशों की सेनाओं के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में कार्य करता है। सीमा पर तनाव और संघर्ष की स्थितियों को प्रबंधित करने में उनकी सीधी संचार लाइनें (हॉटलाइन) महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

  • संचार का माध्यम: डीजीएमओ दोनों देशों के सैन्य नेतृत्व के बीच सीधी बातचीत के लिए एक स्थापित चैनल प्रदान करता है। यह सीमा पर संघर्ष विराम उल्लंघन, सीमा संबंधी मुद्दों और संभावित संघर्षों को कम करने के लिए महत्वपूर्ण है।
  • तनाव कम करना: जब सीमा पर तनाव बढ़ता है, तो दोनों देशों के डीजीएमओ एक-दूसरे से संपर्क करते हैं ताकि स्थिति को नियंत्रण में लाया जा सके और आगे बढ़ने से रोका जा सके।

सहमति और समझौते: समय-समय पर, दोनों डीजीएमओ सीमा पर शांति बनाए रखने के लिए कुछ नियमों और प्रक्रियाओं पर सहमत होते हैं। हाल ही में, मई 2025 में, दोनों देशों के डीजीएमओ ने सीमा पर सभी प्रकार की गोलीबारी और सैन्य कार्रवाई को रोकने के लिए सहमति व्यक्त की। इसके बाद, उन्होंने सैनिकों की संख्या कम करने जैसे कदमों पर भी विचार-विमर्श किया।

  • विश्वास बहाली के उपाय: डीजीएमओ स्तर की वार्ताएं विश्वास बहाली के उपायों (Confidence Building Measures – CBMs) पर चर्चा करने और उन्हें लागू करने का एक मंच प्रदान करती हैं, जिससे दोनों देशों के बीच अविश्वास को कम किया जा सके।
    संक्षेप में, डीजीएमओ भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य स्तर पर संचार और समन्वय बनाए रखने के लिए एक आवश्यक पद है। यह दोनों देशों के बीच किसी भी सैन्य संकट को बढ़ने से रोकने और सीमा पर शांति स्थापित करने में महत्वपूर्ण योगदान देता है। हाल की घटनाओं से यह स्पष्ट होता है कि डीजीएमओ स्तर की बातचीत दोनों देशों के बीच तनाव कम करने और शांति की दिशा में आगे बढ़ने के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण है।