भारतीय संविधान में मौलिक कर्तव्य (Fundamental Duties) एक अत्यंत महत्वपूर्ण विषय है, विशेषकर BPSC प्रारंभिक (Prelims) और मुख्य परीक्षा (Mains) के दृष्टिकोण से। यह न केवल भारतीय नागरिकों के उत्तरदायित्व को दर्शाता है, बल्कि यह भी बताता है कि एक जागरूक नागरिक से देश को क्या अपेक्षा है।
📘 मौलिक कर्तव्यों की परिभाषा (Definition of Fundamental Duties)
मौलिक कर्तव्य वे नैतिक, सामाजिक और नागरिक दायित्व हैं, जिन्हें भारतीय संविधान द्वारा प्रत्येक नागरिक के लिए निर्धारित किया गया है। ये कर्तव्य नागरिकों को देश के प्रति अपने कर्तव्यों की याद दिलाते हैं और समाज में अनुशासन, देशभक्ति तथा एकता बनाए रखने में मदद करते हैं।
🏛️ संविधान में मौलिक कर्तव्यों का समावेश
- मूल रूप से 1949 में संविधान में मौलिक कर्तव्यों का उल्लेख नहीं था।
- 1976 में 42वें संविधान संशोधन द्वारा भाग IV-A (Article 51A) जोड़ा गया, जिसमें मूल रूप से 10 मौलिक कर्तव्य शामिल किए गए।
- बाद में 86वें संविधान संशोधन (2002) द्वारा एक और कर्तव्य जोड़ा गया।
👉 अब कुल 11 मौलिक कर्तव्य हैं।
📜 भारतीय नागरिकों के 11 मौलिक कर्तव्य – संक्षिप्त सूची
- संविधान का पालन करना और उसके आदर्शों, संस्थाओं, राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रगान का सम्मान करना।
- स्वतंत्रता संग्राम के महान आदर्शों की स्मृति बनाए रखना और उन्हें अपनाना।
- भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा करना।
- देश की रक्षा करना और आवश्यकता पड़ने पर राष्ट्रीय सेवा करना।
- समाज में सद्भावना और भाईचारे को बढ़ावा देना।
- समाज में महिलाओं का सम्मान करना और उनके प्रति हिंसा को त्यागना।
- प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा करना, जैसे – जंगल, नदियाँ, वन्य जीवन आदि।
- वैज्ञानिक दृष्टिकोण, मानवतावाद और सुधार की भावना को विकसित करना।
- सार्वजनिक संपत्ति की रक्षा करना और हिंसा से बचना।
- व्यक्तिगत व सामूहिक प्रयासों से उत्कृष्टता प्राप्त करने का प्रयास करना।
- 6 से 14 वर्ष के बच्चों को शिक्षा दिलवाना। (86वें संशोधन द्वारा जोड़ा गया)
📚 BPSC परीक्षा में महत्व
- Prelims में: संविधान, मौलिक अधिकार और कर्तव्य से संबंधित वस्तुनिष्ठ प्रश्न पूछे जाते हैं।
- Mains में: सामान्य अध्ययन (GS Paper II) में संविधान और नागरिक कर्तव्यों पर विश्लेषणात्मक प्रश्न पूछे जा सकते हैं।
- उदाहरण प्रश्न:
- “भारत के मौलिक कर्तव्यों की प्रासंगिकता पर चर्चा करें।”
- “मौलिक अधिकार और मौलिक कर्तव्यों के बीच संतुलन कैसे सुनिश्चित किया जा सकता है?”
📝 निष्कर्ष (Conclusion)
मौलिक कर्तव्य न केवल संविधान का एक अभिन्न अंग हैं, बल्कि यह देश के प्रति हमारी नैतिक जिम्मेदारी को भी दर्शाते हैं। एक अच्छे नागरिक का दायित्व केवल अधिकारों की मांग करना नहीं है, बल्कि अपने कर्तव्यों का पालन करना भी उतना ही आवश्यक है। BPSC जैसी परीक्षाओं में यह विषय राष्ट्रीय जागरूकता और संवैधानिक समझ की कसौटी पर भीखड़ा होता है।