S-400 मिसाइल प्रणाली रूस द्वारा निर्मित एक अत्याधुनिक मोबाइल सतह-से-हवा में मार करने वाली (SAM) मिसाइल प्रणाली है। इसे दुनिया की सबसे सक्षम वायु रक्षा प्रणालियों में से एक माना जाता है। यहां इसकी पूरी जानकारी दी गई है:
मुख्य विशेषताएं:
- रेंज: S-400 विभिन्न प्रकार की मिसाइलों का उपयोग करता है, जिनकी मारक क्षमता अलग-अलग है:
- अति-लंबी दूरी: 400 किमी तक (40N6E मिसाइल)
- लंबी दूरी: लगभग 250 किमी
- मध्यम दूरी: लगभग 120 किमी
- कम दूरी: लगभग 40 किमी
- लक्ष्य की ऊंचाई: यह 30 किलोमीटर से अधिक ऊंचाई पर उड़ रहे लक्ष्यों को भेद सकता है।
- लक्ष्य की गति: यह मैक 14 (लगभग 17,000 किमी/घंटा) तक की गति वाले लक्ष्यों को मार सकता है।
- एक साथ लक्ष्य साधने की क्षमता: यह एक साथ 36 लक्ष्यों को ट्रैक कर सकता है और उनमें से 72 से 160 (विभिन्न स्रोतों के अनुसार) पर एक साथ हमला कर सकता है।
- रडार प्रणाली: इसमें एक शक्तिशाली रडार प्रणाली है जो 600 किलोमीटर तक की दूरी पर 300 लक्ष्यों तक का पता लगा सकती है। यह रडार दुश्मन के विमानों (यहां तक कि स्टील्थ विमानों जैसे F-22 और F-35), ड्रोन, क्रूज मिसाइलों और बैलिस्टिक मिसाइलों की पहचान कर सकता है।
- तैनाती: यह एक मोबाइल प्रणाली है जिसे ट्रकों पर लगाया जाता है और इसे 5 से 10 मिनट के भीतर किसी भी स्थान पर तैनात किया जा सकता है। इसकी गतिशीलता इसे दुश्मन के लिए ट्रैक और नष्ट करना मुश्किल बनाती है।
- अन्य विशेषताएं:
- इसमें एक इंटीग्रेटेड मल्टीफंक्शन रडार, कमांड और कंट्रोल यूनिट्स और कई तरह के मिसाइल लॉन्चर होते हैं।
- यह सिस्टम विभिन्न मौसम स्थितियों (-50°C से -70°C तक) में काम कर सकता है।
- यह वर्टिकल लॉन्च क्षमता रखता है, जिससे मिसाइल किसी भी दिशा में तुरंत जा सकती है।
S-400 कैसे काम करता है:
- लक्ष्य का पता लगाना: S-400 का शक्तिशाली रडार सिस्टम 600 किमी तक की दूरी से हवाई लक्ष्यों का पता लगाता है और उन्हें ट्रैक करता है।
- लक्ष्य की पहचान: यह ‘IFF (Identification Friend or Foe) सिस्टम’ के माध्यम से लक्ष्य की पहचान करता है।
- मिसाइल मार्गदर्शन: रडार के माध्यम से मिसाइल को लक्ष्य की दिशा में निर्देशित किया जाता है (‘रडार होमिंग’)।
- लक्ष्य का विनाश: मिसाइल लक्ष्य को लॉक करती है और हवा में ही उसे नष्ट कर देती है।
भारत और S-400:
- भारत ने अक्टूबर 2018 में रूस के साथ लगभग 5.43 बिलियन अमेरिकी डॉलर में पांच S-400 मिसाइल स्क्वाड्रन खरीदने का समझौता किया था।
- इस समझौते के तहत डिलीवरी 2021 में शुरू हुई।
- मई 2025 तक, भारत को तीन स्क्वाड्रन मिल चुके हैं और बाकी दो के 2026 तक आने की संभावना है।
- भारतीय वायुसेना इस प्रणाली को “सुदर्शन चक्र” के नाम से भी जानती है।
- हाल ही में, भारत ने पाकिस्तान द्वारा किए गए हवाई हमलों को विफल करने के लिए इस प्रणाली का उपयोग किया है।
- S-400 भारत की वायु रक्षा को काफी मजबूत करता है और इसे देश की रक्षा रणनीति में एक महत्वपूर्ण कड़ी माना जाता है। इसे पश्चिमी सीमा पर पाकिस्तान और उत्तरी सेक्टर में चीन की ओर प्रमुख स्थानों पर तैनात किया गया है।
संक्षेप में, S-400 एक अत्यधिक उन्नत और शक्तिशाली वायु रक्षा प्रणाली है जो लंबी दूरी तक विभिन्न प्रकार के हवाई खतरों का मुकाबला करने में सक्षम है, और भारत ने अपनी वायु सुरक्षा को मजबूत करने के लिए इसे अपने शस्त्रागार में शामिल किया है।