राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस: जानिए ‘भारतीय सांख्यिकी के जनक’ प्रशांत चंद्र महालनोविस

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राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस: जानिए ‘भारतीय सांख्यिकी के जनक’ प्रशांत चंद्र महालनोविस को
भारत में हर साल 29 जून को ‘राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस’ मनाया जाता है। यह दिन किसी और को नहीं, बल्कि भारतीय सांख्यिकी के जनक प्रशांत चंद्र महालनोविस (Prasanta Chandra Mahalanobis) की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। उन्हें सिर्फ एक सांख्यिकीविद् नहीं, बल्कि एक दूरदर्शी वैज्ञानिक, अर्थशास्त्री और योजनाकार के रूप में याद किया जाता है, जिन्होंने भारत की आर्थिक और औद्योगिक नीति की नींव रखी।
एक संस्थान की नींव: भारतीय सांख्यिकी संस्थान (ISI)
महालनोविस का सबसे बड़ा और पहला योगदान भारतीय सांख्यिकी संस्थान (Indian Statistical Institute – ISI) की स्थापना था। उन्होंने 1931 में कोलकाता में इसकी स्थापना की, जो बाद में सांख्यिकी के क्षेत्र में अनुसंधान और प्रशिक्षण का एक प्रमुख केंद्र बन गया। आज भी ISI दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित संस्थानों में से एक है, जिसने भारत को सांख्यिकी के क्षेत्र में एक मजबूत पहचान दिलाई है।
देश के लिए योजना: दूसरी पंचवर्षीय योजना का मॉडल
उनकी सबसे बड़ी देन भारत की दूसरी पंचवर्षीय योजना (1956-1961) का मॉडल था, जिसे नेहरू-महालनोविस मॉडल के नाम से जाना जाता है। इस योजना का मुख्य जोर भारी उद्योगों (जैसे स्टील प्लांट और मशीनरी) को बढ़ावा देने पर था, ताकि देश आत्मनिर्भर बन सके। उन्होंने सांख्यिकी का उपयोग करके यह साबित किया कि कैसे डेटा को राष्ट्रीय विकास के लिए प्रभावी ढंग से इस्तेमाल किया जा सकता है। इस मॉडल ने भारत के औद्योगीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
सांख्यिकी में उनका अमूल्य योगदान
महालनोविस ने सांख्यिकी के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण खोजें कीं। इनमें सबसे प्रसिद्ध है ‘महालनोविस दूरी’ (Mahalanobis Distance), जो डेटा के सेट के बीच की दूरी को मापने का एक तरीका है और आज भी विभिन्न वैज्ञानिक क्षेत्रों में इसका व्यापक उपयोग होता है। इसके अलावा, उन्होंने बड़े पैमाने पर सैंपल सर्वे (sample surveys) की शुरुआत की, जिससे फसलों की पैदावार, गरीबी और बेरोजगारी जैसे महत्वपूर्ण आंकड़े इकट्ठा करना संभव हो पाया। इस तरह के वैज्ञानिक सर्वे ने सरकार को बेहतर नीतियां बनाने में मदद की।
एक विरासत जो आज भी जीवित है
प्रशांत चंद्र महालनोविस ने सांख्यिकी को सिर्फ गणित का एक हिस्सा नहीं माना, बल्कि इसे देश की समस्याओं को हल करने का एक शक्तिशाली उपकरण बनाया। उनका मानना था कि डेटा का सही इस्तेमाल करके देश की प्रगति को सुनिश्चित किया जा सकता है। उनका योगदान आज भी भारतीय सांख्यिकी प्रणाली और योजना प्रक्रिया की रीढ़ है, और यही कारण है कि उन्हें सही मायनों में ‘भारतीय सांख्यिकी का जनक’ कहा जाता है।


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