✒️ प्रस्तावना:
बिंदुसार मौर्य वंश के दूसरे सम्राट थे, जिन्होंने चंद्रगुप्त मौर्य के बाद सत्ता संभाली और अशोक जैसे महान सम्राट के पिता बने। उनके शासनकाल में मौर्य साम्राज्य की सीमाएं और अधिक सुदृढ़ हुईं। बीपीएससी परीक्षा की दृष्टि से बिंदुसार का प्रशासनिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक योगदान महत्वपूर्ण है।
👑 बिंदुसार का जीवन परिचय:
- वंश: मौर्य वंश
- पिता: चंद्रगुप्त मौर्य
- पुत्र: अशोक, सुसिमा
- राज्याभिषेक: लगभग 297 ई.पू.
- राजधानी: पाटलिपुत्र
- धर्म: आजीवक संप्रदाय में आस्था
- मृत्यु: लगभग 273 ई.पू.
🪪 उपाधियाँ और पहचान:
- ग्रीक लेखकों के अनुसार बिंदुसार को “अमित्रघात” (Amitrochates) कहा गया है, जिसका अर्थ है — शत्रुओं का संहारक।
- कुछ भारतीय ग्रंथों में उन्हें “अमित्रघात” के नाम से भी जाना जाता है।
🛡️ शासनकाल की प्रमुख घटनाएँ:
- मौर्य साम्राज्य का विस्तार:
- उन्होंने अपने पिता चंद्रगुप्त द्वारा स्थापित साम्राज्य को न केवल बनाए रखा बल्कि दक्षिण भारत की ओर और अधिक विस्तार किया।
- मौर्य साम्राज्य का विस्तार मैसूर तक बताया जाता है।
- दक्षिण भारत से संबंध:
- कहा जाता है कि बिंदुसार ने दक्षिण भारत के लगभग 16 राज्यों को अधीन किया था, किंतु कलिंग को नहीं जीत पाए।
- अजीवक संप्रदाय में आस्था:
- बिंदुसार आजीवक धर्म के अनुयायी थे और मुनि मक्कलि गोसाल के विचारों से प्रभावित थे।
- यवनों से कूटनीतिक संबंध:
- यूनानी इतिहासकारों जैसे डियोडोरस और स्ट्रैबो ने बिंदुसार के दरबार में यूनानी दूत “दाइमेकस” की उपस्थिति का उल्लेख किया है।
- उन्होंने सेल्यूकस के उत्तराधिकारी एंटियोकस प्रथम के साथ कूटनीतिक संबंध बनाए।
🧱 प्रशासनिक व्यवस्था:
- बिंदुसार ने अपने पिता द्वारा स्थापित केंद्रीकृत प्रशासन को और अधिक मजबूत किया।
- उन्होंने साम्राज्य के विभिन्न भागों में राजकुमारों को राज्यपाल के रूप में नियुक्त किया — जैसे कि अशोक को उज्जैन और तक्षशिला का राज्यपाल बनाया गया था।
📚 बीपीएससी परीक्षा के लिए मुख्य तथ्य:
विषय | तथ्य |
---|---|
वंश | मौर्य वंश |
पिता | चंद्रगुप्त मौर्य |
पुत्र | अशोक |
राजधानी | पाटलिपुत्र |
धर्म | आजीवक |
उपाधि | अमित्रघात |
ग्रीक दूत | दाइमेकस |
शासनकाल | 297–273 ई.पू. |
📜 निष्कर्ष:
बिंदुसार ने मौर्य साम्राज्य को सुदृढ़ और विस्तृत किया तथा अपने पुत्र अशोक के लिए एक शक्तिशाली विरासत छोड़ी। यद्यपि उनके शासनकाल के बारे में सीमित स्रोत उपलब्ध हैं, फिर भी वे मौर्य काल की निरंतरता और सामरिक रणनीति का प्रतीक हैं। बीपीएससी परीक्षा की दृष्टि से बिंदुसार एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक शासक हैं।
📌 BPSC Mains के लिए उपयोगी सुझाव:
- “बिंदुसार की उपलब्धियाँ और सीमाएँ” पर 250 शब्दों में उत्तर तैयार करें।
- मौर्य वंश में चंद्रगुप्त, बिंदुसार और अशोक की तुलनात्मक भूमिका समझें।
- आजीवक संप्रदाय और उसकी विशेषताओं का उल्लेख करें।
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