👑 परिचय
औरंगज़ेब मुग़ल साम्राज्य का छठा और अंतिम प्रभावशाली सम्राट था। उसका शासनकाल राजनीतिक विस्तार के चरम पर था लेकिन धार्मिक असहिष्णुता और विद्रोहों के कारण साम्राज्य के पतन की नींव भी इसी काल में रखी गई। बीपीएससी प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा दोनों के लिए औरंगज़ेब का शासन, नीतियाँ, धार्मिक दृष्टिकोण और दक्षिण अभियान अत्यंत महत्वपूर्ण विषय हैं।
📜 जीवन परिचय
- पूरा नाम: मुहिउद्दीन मुहम्मद औरंगज़ेब आलमगीर
- जन्म: 3 नवम्बर 1618, दाहोद (गुजरात)
- पिता: शाहजहाँ
- माता: मुमताज़ महल
- गद्दी पर बैठना: 1658 ई. (दारा शिकोह को हराने के बाद)
- निधन: 3 मार्च 1707, अहमदनगर
⚔️ गद्दी प्राप्ति और उत्तराधिकार युद्ध
- शाहजहाँ की बीमारी (1657) के बाद चारों पुत्रों में सत्ता के लिए संघर्ष हुआ
- औरंगज़ेब ने अपने बड़े भाई दारा शिकोह को 1659 में हराया और हत्या कर दी
- शाहजहाँ को आगरा के किले में कैद किया
- 1658 ई. में खुद को सम्राट घोषित किया – “आलमगीर” की उपाधि धारण की
📖 धार्मिक नीति
- औरंगज़ेब की धार्मिक नीति कट्टर इस्लामी सिद्धांतों पर आधारित थी
- उसने अकबर की सुलह-ए-कुल नीति को अस्वीकार कर दिया
- जज़िया कर को पुनः लागू किया (1679)
- कई हिंदू मंदिरों को नष्ट किया गया
- शिया और सूफी विचारधारा के प्रति भी असहिष्णु था
- गुरु तेग बहादुर को शहीद करवाया (1675)
🏛️ प्रशासन और नीति
- अकबर की प्रशासनिक प्रणाली को यथावत रखा
- मनसबदारी प्रथा में सुधार लाए
- राज्य में भ्रष्टाचार रोकने हेतु व्यक्तिगत रूप से मामलों की निगरानी करता था
- एक धार्मिक पुस्तक फतावा-ए-आलमगीरी का संकलन कराया
⚔️ दक्षिण भारत का अभियान
- बीजापुर (1686) और गोलकुंडा (1687) को मुग़ल साम्राज्य में मिला लिया
- मराठा विद्रोह:
- शिवाजी के साथ संघर्ष
- शिवाजी को औरंगज़ेब ने गिरफ्तार किया, लेकिन वह भाग निकले
- शिवाजी की मृत्यु के बाद भी मराठा संघर्ष जारी रहा
- दक्षिण में 27 वर्ष तक चला युद्ध, जिससे मुग़ल साम्राज्य की आर्थिक और सैन्य शक्ति कमजोर हुई
⚔️ सिख और राजपूत विद्रोह
- गुरु गोबिंद सिंह के नेतृत्व में सिखों का संगठित विद्रोह
- राजपूत विद्रोह भी औरंगज़ेब के शासन में भड़क उठे
- जाट और सतनामी विद्रोह (हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में)
- अनेक विद्रोहों ने मुग़ल प्रशासन की नींव हिला दी
📌 बीपीएससी प्रीलिम्स के लिए महत्वपूर्ण तथ्य
विषय | विवरण |
---|---|
उपाधि | आलमगीर |
शासनकाल | 1658 – 1707 |
जज़िया कर पुनः लागू | 1679 |
दक्षिण अभियान | बीजापुर (1686), गोलकुंडा (1687) |
फतावा-ए-आलमगीरी | इस्लामी विधियों का संकलन |
गुरु तेग बहादुर की शहादत | 1675 |
शिवाजी की गिरफ्तारी और भागना | 1666 |
मृत्यु | अहमदनगर, 1707 |
⚰️ मृत्यु और उत्तराधिकार
- औरंगज़ेब की मृत्यु 3 मार्च 1707 को अहमदनगर में हुई
- अपने अंतिम समय में उसने लिखा –
“मैंने एक विशाल साम्राज्य छोड़ा है जो अंतहीन विद्रोहों और कमजोरियों से घिरा है।” - उसके बाद उसके पुत्रों में उत्तराधिकार युद्ध छिड़ गया
- बहादुर शाह प्रथम उसका उत्तराधिकारी बना
✍️ निष्कर्ष
औरंगज़ेब ने अपने शासनकाल में मुग़ल साम्राज्य का सबसे बड़ा विस्तार किया, लेकिन उसकी धार्मिक असहिष्णुता, लंबे दक्षिण अभियान, और विद्रोहों ने साम्राज्य की नींव को कमजोर कर दिया। बीपीएससी परीक्षा में औरंगज़ेब से संबंधित प्रश्न अक्सर पूछे जाते हैं – विशेषकर उसकी धार्मिक नीति, दक्षिण भारत का युद्ध, शिवाजी, और फतवा-ए-आलमगीरी से जुड़े बिंदु।
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