✒️ प्रस्तावना:
सम्राट अशोक मौर्य वंश के सबसे प्रसिद्ध शासक थे। उनका शासन न केवल राजनीतिक दृष्टि से विस्तृत था, बल्कि उनके धर्म और नैतिक नीतियों ने भारत के इतिहास में एक नई दिशा दी। बीपीएससी की प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा में अशोक से जुड़े प्रश्न अक्सर पूछे जाते हैं। इस ब्लॉग पोस्ट में हम अशोक के जीवन, विजय, नीति और योगदान का समग्र विश्लेषण प्रस्तुत कर रहे हैं।
🧬 जीवन परिचय:
- वंश: मौर्य वंश
- पिता: बिंदुसार
- दादी: चाणक्य समर्थित रानी – चंद्रगुप्त मौर्य की पत्नी
- राज्याभिषेक: 273 ई.पू. (औपचारिक रूप से 269 ई.पू.)
- राजधानी: पाटलिपुत्र
- धर्म: प्रारंभ में हिन्दू, बाद में बौद्ध धर्म ग्रहण किया
⚔️ कलिंग युद्ध और रूपांतरण:
- सन्: 261 ई.पू.
- स्थान: कलिंग (आधुनिक ओडिशा)
- परिणाम: अशोक ने कलिंग को जीत लिया, लेकिन युद्ध की हिंसा और जनहानि देखकर उन्होंने युद्ध छोड़ने का संकल्प लिया।
- इसके बाद उन्होंने बौद्ध धर्म अपना लिया और “धम्म नीति” का प्रचार किया।
📜 धम्म नीति (Dhamma Policy):
- यह नीति नैतिकता, अहिंसा, करुणा, धार्मिक सहिष्णुता, और प्रजा के कल्याण पर आधारित थी।
- अशोक ने सभी धर्मों के प्रति समान दृष्टिकोण अपनाया और उन्हें आदर दिया।
🪧 शिलालेख और स्तंभ लेख:
- अशोक ने अपने आदेशों को प्रसारित करने के लिए प्राकृतिक शिलाओं और पत्थर के स्तंभों पर लेख खुदवाए।
- भाषा: प्रमुख रूप से प्राकृत
- लिपि: ब्राह्मी (उत्तर भारत में), खरोष्ठी (उत्तर-पश्चिम भारत में)
- अशोक के शिलालेख भारत के कई भागों में मिले हैं — जैसे कि गिरनार, सांची, दौली, शाहबाजगढ़ी, रुम्मिनीदई, सारनाथ आदि।
🌏 विदेशों में बौद्ध धर्म का प्रचार:
- अशोक ने अपने पुत्र महेंद्र और पुत्री संगमित्रा को श्रीलंका भेजा, जहाँ उन्होंने बौद्ध धर्म का प्रचार किया।
- अशोक के शासनकाल में बौद्ध धर्म दक्षिण-पूर्व एशिया, श्रीलंका और मध्य एशिया तक पहुँचा।
🏛️ प्रशासनिक सुधार:
- अशोक ने “धम्ममहामात्र” नामक अधिकारियों की नियुक्ति की जो प्रजा में नैतिकता का प्रचार करते थे।
- उन्होंने पशु वध पर नियंत्रण, अस्पतालों की स्थापना, सड़कों का निर्माण तथा कुओं व वृक्षारोपण को बढ़ावा दिया।
👑 उपाधियाँ और पहचान:
- देवानांप्रिय (देवों का प्रिय)
- प्रियदर्शी (सभी को स्नेह की दृष्टि से देखने वाला)
- बौद्ध साहित्य में उन्हें “धम्माशोक” कहा गया है।
📚 बीपीएससी परीक्षा के लिए मुख्य तथ्य:
विषय | तथ्य |
---|---|
वंश | मौर्य वंश |
पिता | बिंदुसार |
युद्ध | कलिंग युद्ध (261 ई.पू.) |
धर्म परिवर्तन | बौद्ध धर्म ग्रहण |
प्रमुख उपाधियाँ | देवानांप्रिय, प्रियदर्शी |
स्तंभ लेख | सारनाथ, लौरिया-नंदनगढ़, रुमा, सांची आदि |
विदेशी मिशन | श्रीलंका, म्यांमार, अफगानिस्तान |
धम्म नीति | नैतिकता, अहिंसा, सहिष्णुता |
📝 निष्कर्ष:
अशोक न केवल एक महान विजेता थे, बल्कि एक महान सुधारक, धर्म प्रचारक और मानवतावादी शासक भी थे। उनके द्वारा अपनाई गई धम्म नीति आज भी सामाजिक सौहार्द और मानवीय मूल्यों की मिसाल है। बीपीएससी की तैयारी कर रहे छात्रों को अशोक के राजनीतिक, धार्मिक और सांस्कृतिक योगदान पर गहराई से अध्ययन करना चाहिए।
📌 BPSC Mains के लिए उत्तर लेखन टिप्स:
- “कलिंग युद्ध के बाद अशोक के व्यक्तित्व में आए परिवर्तन” पर 250-300 शब्दों में उत्तर तैयार करें।
- “धम्म नीति और अशोक का प्रशासन” विषय पर विशेष उत्तर तैयार करें।
- अशोक की तुलना चंद्रगुप्त मौर्य और समुद्रगुप्त से करें।
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